Monday, January 13, 2025

बर्फीली लहरों में आस्था की गर्माहट: महा कुम्भ 2025 की एक अनोखी कहानी

 


बर्फीली लहरों में आस्था की गर्माहट: महा कुम्भ 2025 की एक अनोखी कहानी

(In Icy Waves, the Warmth of Faith: A Unique Tale of Maha Kumbh 2025)

प्रयागराज की ठंडी सुबह, धुंध की एक चादर से लिपटी, त्रिवेणी संगम के किनारे एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। पौष पूर्णिमा का पवित्र दिन था, और विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला, महा कुम्भ, अपने पूरे वैभव के साथ शुरू हो चुका था। लाखों की संख्या में भक्त, भारत के कोने-कोने से और दुनिया भर से, इस पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े थे। लेकिन इस बार, कुछ खास चेहरे थे जिन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा - दूर देशों से आए कुछ उत्साही तीर्थयात्री, जो बर्फीले पानी में आस्था की गर्माहट खोजने आए थे।

(A cold morning in Prayagraj, shrouded in a blanket of fog, presented a breathtaking scene at the banks of Triveni Sangam. It was the auspicious day of Paush Purnima, and the world's largest spiritual gathering, the Maha Kumbh, had begun in all its glory. Millions of devotees, from every corner of India and around the world, had flocked to take a dip in this holy confluence. But this time, there were some special faces that caught everyone's attention – some enthusiastic pilgrims from faraway lands, who had come to find the warmth of faith in the icy waters.)

फ्रांसिस्को, ब्राजील से आए एक युवक, पहली बार भारत आए थे। उनके चेहरे पर एक अद्भुत उत्साह था। "मैं मोक्ष की तलाश में भारत आया था," उन्होंने अपनी आँखों में चमक के साथ कहा। "यहाँ होना एक अविश्वसनीय अनुभव है। पानी बेशक ठंडा है, पर मेरे दिल में एक अद्भुत गर्माहट है।" उनके शब्द, ठंडी हवा में तैरते हुए, इस अनोखे अनुभव की गहराई को बयाँ कर रहे थे।

(Francisco, a young man from Brazil, was visiting India for the first time. There was an incredible enthusiasm on his face. "I came to India seeking Moksha," he said with a sparkle in his eyes. "Being here is an incredible experience. The water may be cold, but there is an amazing warmth in my heart." His words, floating in the cold air, were expressing the depth of this unique experience.)

स्पेन, पुर्तगाल और दक्षिण अफ्रीका से भी तीर्थयात्री आए थे। एक स्पेनिश महिला ने अपनी सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए कहा, "हम एक आध्यात्मिक यात्रा पर निकले दोस्तों का समूह हैं। यहाँ पवित्र स्नान करना एक आशीर्वाद है, और हम खुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं।" केप टाउन के एक व्यक्ति ने इस अनुभव को "अविस्मरणीय" बताया और यहाँ के वातावरण की प्रशंसा करते हुए कहा, "सड़कें साफ़ हैं, लोग बहुत मिलनसार हैं, और यहाँ सनातन धर्म का पालन करना एक अद्भुत अनुभव है।"

(Pilgrims from Spain, Portugal, and South Africa had also come. A Spanish woman, smiling with her friends, said, "We are a group of friends on a spiritual journey. Taking a holy dip here is a blessing, and we consider ourselves very fortunate." A person from Cape Town described the experience as "unforgettable" and praised the atmosphere here, saying, "The streets are clean, the people are very friendly, and practicing Sanatan Dharma here is an amazing experience.")

इन विदेशी भक्तों के साथ, जतिन प्रभाकर भी थे, जो मूल रूप से मैसूर से हैं और अब जर्मनी में रहते हैं। अपनी पत्नी सास्किया और अपने छोटे बच्चे आदित्य के साथ, जतिन ने बताया कि कैसे यह यात्रा उनके लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का एक तरीका है। "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहाँ रहते हैं," उन्होंने कहा, "अपने अंदर की यात्रा करना और अपनी जड़ों से जुड़े रहना ही सबसे महत्वपूर्ण है।"

(Along with these foreign devotees, there was Jatin Prabhakar, who is originally from Mysore and now lives in Germany. Along with his wife Saskia and their young child Aditya, Jatin explained how this journey is a way for them to connect with their roots. "It doesn't matter where you live," he said, "Journeying within and staying connected to your roots is what matters most.")

इस महा कुम्भ में, अधिकारियों ने सुरक्षा और व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा था। पुलिस, RAF और CRPF के जवान हर जगह तैनात थे, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। इस वर्ष का महा कुम्भ और भी खास है, क्योंकि 144 वर्षों में एक बार होने वाला एक दुर्लभ खगोलीय संयोग भी इस दौरान हो रहा है।

(In this Maha Kumbh, the authorities had taken full care of security and order. Police, RAF, and CRPF personnel were deployed everywhere, so that any untoward incident could be avoided. This year's Maha Kumbh is even more special, because a rare celestial coincidence that occurs once in 144 years is also happening during this time.)

जैसे ही भक्त बर्फीले पानी में डुबकी लगा रहे थे, उनकी आँखों में एक अद्भुत चमक थी - आस्था की चमक, विश्वास की चमक, और एक ऐसे अनुभव की चमक जो शायद जीवन में एक ही बार मिलता है। यह महा कुम्भ, सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि एक ऐसा संगम है जहाँ दुनिया भर के लोग एक ही भावना से जुड़ते हैं - शांति, मुक्ति और अपनी आत्मा की गहराई को जानने की चाह।

(As the devotees were taking a dip in the icy water, there was an amazing sparkle in their eyes – the sparkle of faith, the sparkle of belief, and the sparkle of an experience that perhaps comes only once in a lifetime. This Maha Kumbh is not just a religious fair, but a confluence where people from all over the world connect with the same feeling – the desire for peace, liberation, and knowing the depths of their soul.)

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